यद्दपि कोई भी देश अपनी सीमा में बिना अनुमति घुसने को अपराध मानता है। कुछ परिस्थितियों में तो गोली तक मार दिये जाने अथवा पूरी ज़िंदगी जेल में डाल दिये जाने का प्रविधान है। इसे अंतर्राष्ट्रीय आचरण कहें अथवा संबंधित सरकार सत्कर्म कि पकड़े गये घुसपैठियों को उनके मूल देश को वापस भेज दे । यदि ऐसे घुसपैठिए सही सलामत वापस कर दिये जायें तो उसे उस देश की भलमनसाहत ही कहा जायेगा। घुसपैठिए वैसे तो कई प्रकार के होते गहैं और उनके दूसरे देश में बिना अनुमति प्रवेश के अलग अलग कारण होते हैं। शरणार्थी इससे अलग होते हैं। कुछ घुसपैठिए आपराधिक परवृत्ति के होते हैं जिनके अवेध प्रवेश के पीछे कोई न कोई बड़ा अपराध होता है जैसे स्मगलिंग , हत्या अथवा आतंक । कुछ क़ानूनी सजा से बचने के लिए दूसरे देश में भाग जाते हैं तो कुछ सरकारों के छिपे एजेंडे को पूरा करने के लिए भी अपनी पहचान बदलकर दूसरे देश में घुस जाते हैं। घुसपैठियों का एक बहुत बड़ा भाग ऐसे लोगों का होता है जो अधिक धन कमाने के चक्कर में दूसरे देशों का रुख़ करते हैं। यदि संबंधित देश का वीज़ा न मिले तो ये लोग विभिन्न हथकंडों का प्रयोग करते हैं। ऐसी घुसपैठ के पीछे मानव तस्करी / कबूतर बाज़ी में लगे एजेंट मुख्य कारण होते हैं। ये एजेंट मोटी रक़म लेकर गेर क़ानूनी तरीक़े से इच्छुक व्यक्ति को दूसरे देश में घुसा देते हैं फिर यह घुसपैठिए अपनी पहचान छिपाकर जब तक संभव हो वहाँ कार्य करते रहते हैं। देखा गया है कि ऐसे घुसपैठियों का जीवन बहुत मुश्किलों भरा रहता है। बिना अनुमति घुसपैठ करने वाले नागरिक का सबसे बड़ा पहलू यह है कि वह ऐसा कर सबसे पहले अपने देश को बदनाम करते हैं । ऐसा संदेश जाता है मानो उस देश में वो भूखों मर रहे हैं अथवा उनके जीवन को गंभीर ख़तरा उत्पन्न हो गया हो। कभी कभी उनके इस अपराध में पहले से विदेश में रह रहे उनके रिश्तेदार अथवा परिचित भी सहयोग करते हैं।किसी भी दशा में बिना अनुमति किसी देश में घुसना अपराध की श्रेणी में ही समझा जाएगा जिसे कोई भी देश सहज स्वीकार नहीं करता और इस अपराध से कठोरता से निपटता है। बहुत समय से यही समस्या हमारे देश में भी गंभीर रूप धारण किए हुए है इसमें अधिकतर बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिए स्थिति को गंभीर बनाये हुए हैं। अपराध की गंभीरता और देश पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव को देखते हुए भी हमारे ही देश के नेता ऐसी घुसपैठ को समर्थन देते हैं । देश कमजोर नहीं, सरकार भी कमजोर नहीं लेकिन हमारे ही अपने हमें निर्बल बनाये हुए हैं । यहाँ तक कि देश की सुरक्षा और डामोग्राफी को भी गंभीर चुनौती उत्पन्न हो रही है। सीधी सी बात है कि ऐसे घुसपैठिए देश के अपराधी हैं और कठोर कार्यवाही के साथ उनके देश को वापस ज़बरदस्ती भेज दिये जाने के पात्र हैं। देश की सरकार चाहे तो इससे आगे भी कठोर कार्यवाही कर सकती है और इसके लिए कोई अन्य सरकार प्रतिरोध करने की अधिकारी नहीं है। अमेरिका द्वारा अपने देश में रह रहे अवेध भारतीयों को वापस भारत भेजने पर आजकल विभिन्न प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं। अपने नागरिकों द्वारा ऐसा अपराध करने पर शर्मिंदा होने के स्थान पर हिंदुस्तान की बेइज्जत्ति की दुहाइयाँ दी जा रही हैं। हथकड़ी लगाने पर विरोध प्रकट किया जा रहा है। भला हमारे विपक्ष से कोई पूछे कि अपराधियों को कैसे रखा जाना चाहिए? ऐसा कौन सा सम्मानित कार्य ऐसे नागरिकों द्वारा किया गया है जिसके कारण उन्हें सम्मान दिया जाना चाहिए? वास्तविकता यह है कि उन्होंने देश की छवि ख़राब कर अपने देश के प्रति भी अपराध किया है जिसके कारण वो किसी सहानुभूति के पात्र नहीं बल्कि उचित सजा के पात्र हैं। ऐसे में सरकार से विशेष मदद की गुहार लगाना मुझे तो हास्यास्पद और आश्चर्यजनक ही लगता है। क्या हम स्वयं पीड़ित होते हुए भी ऐसे अपराध को सामान्य रूप से ले सकते हैं। देश की छवि ख़राब करना कोई छोटा अपराध नहीं कहा जा सकता। ऐसे घुसपैठियों से देश के प्रति किसी प्रेम की अपेक्षा करना भी उचित नहीं होता। अमेरिका यदि अपराधियों को हथकड़ी लगाकर अपराधियों की भाँति सुपुर्द करता है तो इसमें कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए बल्कि यदि अमेरिका चाहे तो इसके लिए खर्च किए धन की भी माँग कर सकता है। भारत को बिना संकोच अपने नागरिकों को वापस स्वीकार करना चाहिए। लेकिन भविष्य में कोई भारतीय ऐसा अपराध न करे इसके लिए भी उचित कदम उठाए जाने चाहिए। अब सही समय है, मौक़ा भी है और दस्तूर भी। भारत में रह रहे अवेध घुसपैठियों को ढूँढ ढूँढ कर उन्हें उनके देश को डिपोर्ट कर दिया जाना चाहिए । घुसपैठियों के एक बड़े भाग द्वारा भारत में अवेध तरीक़ों से आधार प्रमाणपत्र प्राप्त कर लिये गये हैं । देश हित में नागरिक प्रमाणपत्रों की गहन जाँच कर सभी घुसपैठियों की पहचान कर ली जानी चाहिए। मतदाता सूचियों में बढ़ाये गये नागरिकों की विशेष पहचान होनी चाहिए और यदि कोई भारतीय क्रमचारी/नागरिक की ऐसे अपराध में संलिप्तता पायी ज़ाय तो उसके विरुद्ध भी कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए। कार्यवाही टुकड़ों में नहीं बल्कि एक निश्चित समय से पूरे देश में शुरू कर लक्ष्य प्राप्ति कर चलायी जानी चाहिए। सरकार किसी भी घुसपैठिए को पकड़ने में सहायता करने पर नागरिकों को उचित उपहार की घोषणा कर दे तो शायद एक माह के अंदर ही सारे घुसपैठिए पकड़े जा सकते हैं। घुसपैठ एक देश व्यापी समस्या है जो देश को कई प्रकार से कमजोर करने के साथ राष्ट्र की सुरक्षा और संप्रभुता पर प्रश्न खड़े करती है। इस विषय पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए और न ही किसी स्तर पर स्वीकार्य होनी चाहिए।घुसपैठ को किसी प्रकार का समर्थन देश द्रोह है इसे उसी संदर्भ में देखा जाना उचित होगा।
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